बाबा तेरे दर पे मुझे सेवादारी मिल जाए

बाबा तेरे दर पे मुझे सेवादारी मिल जाए

बाबा तेरे दर पे मुझे सेवादारी मिल जाए,
और कुछ न मांगूं मैं यूं ही उम्र गुजर जाए।

मैं दर का भिखारी हूं तू देने वाला है,
तू लाख करोड़ न दे थोड़े में गुज़ारा है,
पैसे का मैं क्या करना जब तू ही मिल जाए।

तू कष्ट मिटाता है जो तेरे गुण गाता है,
बेनामों को बाबा तू ही नाम दिलाता है,
तुझे देखूं मैं जी भरके ऐसी नौकरी मिल जाए।

तूने लाखों करोड़ों की बिगड़ी बनाई है,
सोई हुई तक़दीरें तुमने ही जगाई हैं,
आकाश भी दर आया,
जो अगर वो भी तर जाए।

खाटूश्यामजी की महिमा असीम है। जो भी सच्चे मन से सेवा मांगे उन्हें सेवा का सौभाग्य मिलता है। हम भी अपने जीवन में कुछ और नहीं चाहते बस बाबा के दरबार में सेवा करने का अवसर चाहते हैं। धन दौलत की कोई इच्छा नहीं बस बाबा का सान्निध्य ही सब कुछ है। बाबा ही कष्ट हरते हैं और बेनामों को पहचान दिलाते हैं। जिनकी तकदीरें सोई होती हैं बाबा उन्हें भी जागृत कर देते हैं उनका दर सबको तार देता है। जय श्री श्याम।


Baba Tere Dar Pe Mujhe Sewadaari Mil Jaaye -सेवादारी मिल जाए | Akash Arora Latest Khatu Shyam Bhajan | Sewadari Mil Jaye

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सुंदर भजन में खाटूश्यामजी के प्रति भक्त का गहरा विश्वास और समर्पण झलकता है। यह एक ऐसी प्रार्थना है, जिसमें भक्त अपने लिए कुछ भी नहीं मांगता, सिवाय बाबा के चरणों में सेवा के अवसर के। उसका मन इतना पवित्र है कि वह धन-दौलत या सांसारिक सुखों की कामना नहीं करता, बल्कि बस बाबा के सान्निध्य में समय बिताना चाहता है। यह प्रेम ऐसा है, जैसे कोई अपने सबसे प्रिय के पास रहकर ही जीवन को सार्थक समझे।

भक्त अपने को दर का भिखारी मानता है, जो बाबा की कृपा का पात्र बनने की आस रखता है। वह मानता है कि बाबा के पास सब कुछ देने की शक्ति है, फिर भी वह थोड़े में ही संतुष्ट है। उसका विश्वास है कि बाबा का साथ ही सबसे बड़ा धन है। जैसे कोई सच्चा मित्र अपने दोस्त के साथ समय बिताकर ही खुश हो जाता है, वैसे ही भक्त बाबा के दर्शन और सेवा में ही सुख पाता है।

बाबा की महिमा का बखान इस भजन में बहुत सुंदर तरीके से होता है। वह कष्ट हरने वाले हैं, जो उनके गुण गाने वालों का उद्धार करते हैं। बेनाम लोगों को भी वे सम्मान और पहचान देते हैं। जैसे कोई अंधेरे में भटकते व्यक्ति को रोशनी दिखाए, वैसे ही बाबा सोई हुई तकदीरों को जगा देते हैं। उनकी कृपा इतनी असीम है कि आकाश भी उनके दर पर आकर तृप्त हो जाता है।
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