कब से बुला रहा हूं हे नाथ चले आओ भजन

कब से बुला रहा हूं हे नाथ चले आओ भजन

कब से बुला रहा हूं,
हे नाथ चले आओ,
मैं आस मैं खड़ा हूं,
दर्शन मुझे दिखाओ,
कब से बुला रहा हूं,
हे नाथ चले आओ,
मैं आस मैं खड़ा हूं,
दर्शन मुझे दिखाओ।

मेरे खातिर एक बार प्रभु,
मेरे सम्मुख आ जाओ,
उलझन में जितने जीवन में,
तुम पार लगा जाओ,
गम लेकर कहां जाऊं,
इतना मुझे बताओ,
कब से बुला रहा हूं,
हे नाथ चले आओ,
मैं आस मैं खड़ा हूं,
दर्शन मुझे दिखाओ।
मैं सुना हूं सबके मन्नतें,
तूम पूरी करते हो,
दुनिया में दुखियों के,
सारे दुख हरते हो,
सांसें थम ना जाए,
दिल से मुझे लगाओ,
कब से बुला रहा हूं,
हे नाथ चले आओ,
मैं आस मैं खड़ा हूं,
दर्शन मुझे दिखाओ।

हम प्रभु को पुकार रहे हैं उनसे मिलने की आस लगाए खड़े हैं। प्रभु हमारे जीवन की उलझनों को सुलझाकर हमें राहत दें। दुखों से भरे जीवन में हमें उनके चरणों में शांति पानी हैं। प्रभु सभी की प्रार्थनाएं सुनते हैं और दुख दूर करते हैं। अब हम भी चाहते हैं कि प्रभु हमारे करीब आएं और हमें अपने प्रेम का आशीर्वाद दें। जय भोलेनाथ।


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Song :- Kab Se Bula Raha Hu
Singer :- Piyush Shukla
Lyrics :- Ravi Chauhan
Music :-  Kanha Singh
Editor :- Aman Gupta
 
भक्त कब से अपने नाथ को पुकार रहा है, उनकी एक झलक की आस में खड़ा है, जैसे कोई बच्चा अपने पिता की राह देखता हो। यह पुकार है कि प्रभु एक बार सामने आकर दर्शन दें और जीवन की सारी उलझनों को सुलझा दें।  मन गम में डूबा है और नहीं जानता कि कहां जाए। वह बस इतना चाहता है कि भोलेनाथ राह दिखाएं और अपने पास बुला लें। यह विश्वास है कि शिवजी हर भक्त की मन्नत पूरी करते हैं और दुखियों के सारे दुख हर लेते हैं, जैसे कोई करुणामयी सागर हर तृष्णा को शांत कर दे।

यह प्रार्थना है कि प्रभु सांसें थमने से पहले अपने प्रेम से गले लगाएं और शांति दें। जैसे मीराबाई ने अपने प्रभु के लिए तड़पकर सारा जीवन समर्पित किया, वैसे ही यह भक्त भी भोलेनाथ के चरणों में विश्राम चाहता है। यह मन की वह विनती है, जो हर पल उनके दर्शन की आस रखती है और उनकी कृपा से जीवन को सार्थक करना चाहती है। जय भोलेनाथ।
 
भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका स्वभाव अत्यंत सरल, सहज और भोला है। वे अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और श्रद्धा से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और बिना किसी भेदभाव के सभी को वरदान दे देते हैं। शिव जी अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करने में कभी देर नहीं करते, चाहे वह कोई भी हो—देव, दानव या सामान्य मनुष्य। उनकी इसी सरलता, निष्कपटता और दयालुता के कारण उन्हें 'भोलेनाथ' कहा जाता है। वे सच्चे अर्थों में दीन-दुखियों के सहायक और सबसे सरल हृदय वाले देवता माने जाते हैं।
 
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