फुला नाल सजेया ऐ द्वारा माई दा

फुला नाल सजेया ऐ द्वारा माई दा

फुला नाल सजेया ऐ द्वारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

रल मिल भगतां ने भवन सजाया ऐ,
भवन सजा के तेरा मंदिर बनाया है,
पिंडी रूप वेख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई,
जय माता दी जय माता दी।

चुन चुन कलियां मैं हार बनाया ऐ,
हार बनाके मां दे गले पाया ऐ,
पिंडी रूप वेख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

चिट्टी चिट्टी रुई दी मै जोत बनाई ऐ,
जोत बनाके तेरे मंदिर जागाई ऐ,
लो विच वेख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

प्यार नाल चुन्नी में ललारी तो रंगाई ऐ,
चुन्नी उते घोटा ते किनारी लगाई ऐ,
चुन्नी विच वैख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

सोने ते चांदी दा मैं छत्र बनाया ऐ,
छत्र बनाके मां मंदिर चढ़ाया ऐ,
मंदरां च वेख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

हलवे ते पूरी दा मै भोग बनाया ऐ,
भोग बनाके मां दी कजका बिठाई ऐ,
कंजक विच वैख्या नजारा माई दा,
प्यार नाल बोलो जी जयकारा माई दा,
जय माता दी जय माता दी।

हमने माता रानी के द्वार को फूलों से सुंदर रूप में सजाया है। हम सभी भक्त मिलकर प्रेम से उनका मंदिर सजा रहे हैं। हमने मां के पिंडी रूप के दर्शन किए और दिव्य नजारा देखा। चुन चुनकर कलियों से हार बनाकर हमने मां के गले में पहनाया है। हमने शुद्ध रुई से जोत बनाई और मंदिर में उसे श्रद्धा से प्रज्वलित किया है। जय माता दी।


Foolan Naal Sajeya Ae Dwara Maai Daa-माता भजन लिरिक्स भगत को मैया ने किस रूप में दर्शन दिए जरूर सुनें फुलां नाल सजेया द्वारा माई दा

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जैसे कोई अपने घर को मेहमान के लिए दिल से सजाता है। फूलों से सजा माता का द्वारा उस भक्ति का प्रतीक है, जो भक्त अपने हाथों से मां को अर्पित करता है। यह भाव ऐसा है, जैसे कोई अपने सबसे प्यारे को खुश करने के लिए हर छोटी-बड़ी चीज को प्यार से संवारता है। जयकारे का नाद उस खुशी को दर्शाता है, जो माता के दर्शन से मन में उमड़ती है।

भक्तों का एकजुट होकर मंदिर को सजाना, जैसे परिवार मिलकर उत्सव की तैयारी करता है। पिंडी रूप में माता के दर्शन का नजारा मन को हर लेता है, जैसे कोई अनमोल खजाने को देखकर अभिभूत हो जाए। कलियों से चुना हुआ हार माता के गले में पहनाने का भाव उस प्रेम का प्रतीक है, जो भक्त अपनी मां के लिए रखता है। यह ऐसा है जैसे कोई अपने हाथों से बनाई चीज को प्यार से भेंट करता है।
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