पंजाबी बोलियां होली

पंजाबी बोलियां होली

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी कौली,
ओ राधा खेल रही ओए होए,
नाल श्याम दे होली,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदा गहिणा,
ओ श्याम दा रंग चढ़िया ओए होए,
सारी उमर ना लहिणा,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी माला,
ओ रंग सानू, पा गया ओए होए,
मोहन मुरली वाला,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी मटकी,
ओ विच रंगीले देओए होए,
जान है मेरी अटकी,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी पायल,
ओ श्याम दा रंग चढ़िया ओए होए,
दिल मेरा होया घायल,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी आरी,
ओ मोहन मार गया ओए होए,
रंग वाली पिचकारी,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी, खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदे पेड़े,
ओ अपने रंग रंग के ओए होए,
तार दिलां दियां छेड़े,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदा कंगना,
ओ फागुण आइओ रे ओए होए,
आ जाओ जीहने नचना,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदियां पंखियां,
ओ आज मेरे श्याम दे नाल ओए होए,
नचन श्याम दियां सखियां,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

बारी बरसी खट्टण गया सी,
खट्ट के लिआंदी कड़ाही,
ओ होली आ गई ए ओए होए,
सब नू होवे वधाई,
ओ बल्ले बल्ले बल्ले बल्ले,
बल्ले होए होए होए होए होए।

होली के उल्लास और राधा श्याम की रंगभरी मस्ती है। बारी बरसी की धुन में अलग अलग चीज़ें लाकर होली की तैयारी करती है। हर वस्तु श्याम के रंग में रंग जाने का प्रतीक है जो प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। राधा सखियों के नृत्य, रंगों की पिचकारी और मिठास भरे पेड़े जैसे त्योहार के रंग हैं। सबको होली की शुभकामनाएं देते हुए उत्सव को हर्षोल्लास से मनाने का संदेश है। जय श्री श्याम।


Punjabi Boliyaan Holi-holi होली स्पेशल|| पंजाबी बोलियां आपने पहले नहीं सुनी होगी होली boliyan

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सुंदर भजन में होली के रंगों और श्रीकृष्णजी के साथ राधारानी की मस्ती भरे प्रेम का उत्सव मनाया गया है। यह भाव ऐसा है, जैसे कोई गाँव की गलियों में रंग और उमंग के साथ उत्सव मना रहा हो। भक्त का मन श्रीकृष्णजी के रंग में इस कदर रंग जाता है कि वह सारी उम्र उनके प्रेम में डूबा रहना चाहता है। जैसे कोई प्यार में खोकर सब कुछ भूल जाता है, वैसे ही यहाँ भक्त का दिल श्रीकृष्णजी की मुरली और राधारानी की संगति में रम जाता है।
 
होली का यह चित्र ऐसा है, मानो हर चीज—कौली, गहना, माला, मटकी, पायल, पिचकारी, पेड़े, कंगना, पंखियाँ, कड़ाही—श्रीकृष्णजी के प्रेम का प्रतीक बन गई हो। भक्त इन चीजों को लाने की बात करता है, जैसे कोई अपने प्रिय के लिए हर सुंदर चीज जुटाता है। हर वस्तु में श्रीकृष्णजी का रंग चढ़ जाता है, जो भक्त के मन को घायल कर देता है, जैसे प्रेम की एक झलक ही दिल को बेकरार कर दे।
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