उठो उठो भोर भई खोलो नयन गिरधारी

उठो उठो भोर भई खोलो नयन गिरधारी

उठो उठो भोर भई,
खोलो नयन गिरधारी,
गोपी ग्वाल सब बाट निहारे,
दर्शन दो बनवारी।
अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।

गोकुल की गलियां धूम मचाओ,
आओ सखाओं संग माखन चुराओ,
आओ कन्हाई यमुना तट आओ,
दाव के संग आओ धेनु चराओ,
फिर वही बंसी मधुर बजाओ,
व्याकुल गोपियां सारी।
उठो उठो भोर भई,
खोलो नयन गिरधारी।

मारो कंकरिया मटकी फोड़ो,
गोपियन के संग नैना जोड़ो,
नैनों से प्रीत के रंग बरसाओ,
धानी चुनरिया फिर से भिगाओ,
आओ मधुबन रास रचाओ,
राधे रास बिहारी।
उठो उठो भोर भई,
खोलो नयन गिरधारी।
अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।

वन उपवन सब कुसुम लताएं,
कान्हा तिहारो दर्शन चाहे,
सूरज अपना भाग्य बनाए,
पहली किरण जब तोहे छू जाए,
सब चाहे नैनन बस जाए,
मंगल छवि तिहारी।
खोलो नयन गिरधारी,
खोलो नयन गिरधारी।

प्रभु श्रीकृष्ण के प्रति विनय है की आप जागिये प्रातः काल का समय है और सूर्योदय हो चूका है। को सुबह जगाने का प्रेमपूर्ण आह्वान है। गोपियाँ और ग्वाल बाल श्रीकृष्ण के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गोकुल की गलियों, यमुना तट और मधुबन की सुंदर झलकियाँ हैं जहाँ कृष्ण अपनी बाल लीलाएँ करते हैं। रासलीला, माखन चोरी और बंसी की मधुर धुन है। प्रकृति भी श्रीकृष्ण के दर्शन की अभिलाषा करती है और उनके मंगलमय रूप का स्वागत करती है।

जय श्री कृष्ण।


Utho Utho Bhor Bhai Kholo Nayan Girdhari -Utho Utho Bhor Bhai Kholo Nayan Girdhari - Morning Krishna Bhajan | Bhakti Song | Bhajan Songs

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सुंदर भजन में प्रभु श्रीकृष्णजी के प्रति गहरा प्रेम और उत्साह झलकता है। सुबह की पहली किरण के साथ गोपियों और ग्वालों का मन उनके दर्शन को तरसता है। यह प्रेम इतना गहरा है कि हर कोई, चाहे गोकुल की गलियाँ हों या यमुना का तट, बस उनकी एक झलक पाने को बेकरार है। जैसे कोई प्रिय को जगाने के लिए प्यार से पुकारता है, वैसे ही यह भजन श्रीकृष्णजी को जगाने का एक कोमल, प्रेम भरा आह्वान है।

गोकुल की गलियों में हँसी-खुशी का माहौल है, जहाँ श्रीकृष्णजी अपनी लीलाओं से सबका मन मोह लेते हैं। माखन चोरी की शरारत हो या बंसी की मधुर धुन, हर पल में उनके साथ होने की चाहत है। यमुना के किनारे, जहाँ वे गायें चराते हैं, हर गोपी उनके साथ समय बिताने को आतुर है। यह प्रेम सिर्फ़ इंसानों तक सीमित नहीं, बल्कि प्रकृति भी उनकी मंगलमय छवि को देखने को बेताब है। फूल, लताएँ, और सूरज की किरणें तक उनके दर्शन की आस में हैं।

रासलीला का दृश्य मन को मोह लेता है। श्रीकृष्णजी और राधारानी का प्रेम रंगों की तरह बरसता है, जैसे धानी चुनरिया भीग जाए। मटकी फोड़ने की शरारत और नैनों से प्रीत बरसाने का भाव बताता है कि प्रेम कितना सहज और गहरा हो सकता है। यह प्रेम ना सिर्फ़ भक्त और भगवान का है, बल्कि जीवन को उत्सव की तरह जीने का न्योता देता है।

हर पंक्ति में श्रीकृष्णजी की मंगल छवि और उनके प्रति अनुराग है। जैसे सूरज की पहली किरण उनके चरणों को स्पर्श करना चाहती है, वैसे ही हर मन उन्हें अपने हृदय में बसाना चाहता है। यह भजन जीवन को प्रेम, आनंद और भक्ति से भरने की प्रेरणा देता है, जहाँ हर पल श्रीकृष्णजी की लीलाओं के साथ रंग जाता है।
 
Title: Utho Utho Bhor Bhai Kholo Nayan Girdhari
Singer: Navin Tripathi, Kavita Raam
Lyrics: Manish Tripathi
Music Director: Navin-Manish
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