तेरे नाम दी जपा मैं माला

तेरे नाम दी जपा मैं माला

तेरे नाम दी जपा मैं माला,
ओ राधे राधे कहन वालया।

तेरे घर आयी,
तुसां पानी वी ना पुछया,
मेरे घर आ श्यामा,
तेनू दुध दा गलास पिलावा,
तेरे नाम दी जपा मैं माला,
ओ राधे राधे कहन वालया।

तेरे घर आयी,
तुसां बेहण नु ना पुछया,
मेरे घर आ श्यामा,
तैनू दिल वाली पालकी बिठावा।

तेरे नाम दी जपा मैं माला,
ओ राधे राधे कहन वालया,
ओ वृंदावन रहन वालया।

तेरे घर आयी,
तुसां खान नु ना पुछया,
मेरे घर आ श्यामा,
तेनू मक्खना दे भोग लगावा,
तेरे नाम दी जपा मैं माला,
ओ राधे राधे कहन वालया,
ओ वृंदावन रहन वालया।

तेरे घर आयी,
तुसां हाल वी ना पुछया,
मेरे घर आ श्यामा,
तैनू दिल वाला हाल सुनावा।

तेरे नाम दी जपा मैं माला,
ओ राधे राधे कहन वालया,
ओ वृंदावन रहन वालया।
हम राधे राधे कहते हुए श्याम आपके नाम की माला जपते हैं। जब हम तेरे घर आए आपने हमें पानी तक नहीं पूछा। पर जब आप हमारे घर आयेंगे श्यामा हम आपको दूध का गिलास देंगे। हम दिल की पालकी में बिठाकर मक्खन का भोग लगायेंगे। आप हमारे घर आयेंगे तो हम अपने दिल की बात भी बतायेंगे।
जय श्री श्याम।


Tere Naam Di Japaa Main  Mala-SSDN:- O Radhe Radhe kehan Walya (BHAJAN) | Anandpur bhajan |Ssdn bhajan | Anand Shabd mala #ssdn

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सुंदर भजन में राधारानी और श्रीकृष्णजी के बीच गहरा प्रेम और विश्वास झलकता है। यह एक भक्त का अपने प्रिय श्याम के प्रति सच्चा अनुराग है, जो उनके नाम की माला जपते हुए हर पल उनकी याद में डूबा रहता है। भक्त का मन इतना उदार है कि वह श्रीकृष्णजी के घर जाकर भी उनकी बेरुखी की शिकायत नहीं करता, बल्कि प्यार से उन्हें अपने घर बुलाता है। यह प्रेम ऐसा है, जैसे कोई अपने सबसे प्रिय मेहमान को दिल से बुलाए।

जब भक्त श्रीकृष्णजी को अपने घर आमंत्रित करता है, तो वह दूध का गिलास, मक्खन का भोग, और दिल की पालकी सजाने की बात करता है। यह सारी बातें उसकी भक्ति की गहराई को दिखाती हैं। वह चाहता है कि श्रीकृष्णजी उसके घर आएँ, ताकि वह अपनी श्रद्धा और प्रेम से उनकी सेवा कर सके। यहाँ भक्त का मन इतना निर्मल है कि वह श्याम से ना केवल अपने दिल की बात कहना चाहता है, बल्कि उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहता है।

वृंदावन का उल्लेख इस भक्ति को और गहरा करता है, जहाँ हर गली, हर पल श्रीकृष्णजी और राधारानी की लीलाओं से भरा है। “राधे राधे” का जाप भक्त के लिए सिर्फ़ शब्द नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। यह भजन उस प्रेम को दर्शाता है, जो बिना किसी अपेक्षा के बस देने में विश्वास रखता है। जैसे कोई सच्चा दोस्त अपने प्रिय को हर सुख देना चाहता है, वैसे ही भक्त श्रीकृष्णजी को अपने दिल में बसा कर उनकी हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना चाहता है।
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