हिन्दू खुद को तू पहचान सुन सनातन सोंग
हिन्दू खुद को तू पहचान सुन सनातन के प्रमाण हिन्दी रेप सोंग
बनके बैठा क्यों अनजान,
ले ले थोड़ा सा तू ज्ञान,
हिन्दू ख़ुद को तू पहचान,
सुन सनातन के प्रमाण।
रामायण मिथ्या कहने वाले,
सत्य से मुख फेरते है,
ये भलीभांति है ज्ञात सभी को,
पत्थर आज भी तैरते है,
चित्रकूट में आज भी,
राम सिया के पदचिह्न मिलते है,
हिमालय पर मिलने वाले,
जड़ी पुष्प लंका में खिलते है,
अशोक वाटिका आज भी है,
बेशक ये बात पुरानी है,
तो जाकर देखो लंका में,
क्यों दहन से मिट्टी काली है,
रामेश्वरम शिवलिंग आज भी है,
बजरंगी के चरणों के निशान,
वैष्णो मां प्रतीक्षा करती,
आयेंगे कल्कि भगवान।
जगन्नाथ भगवान जी का दिल,
आज भी धक धक करता है,
प्रसाद कभी ना कम पड़ता,
भूखे के पेट को भरता है,
सुदृशन जैसा नीलचक्र,
जो गुम्बद पर सजाते है,
उसे किसी भी दिशा से,
देखो सब सामने सीधा पाते है,
गुम्बद के ऊपर से कभी कोई,
पक्षी विमान ना जाता है,
वायु के विपरीत दिशा में,
सदा ध्वज लहराता है,
सागर के तट पे मंदिर,
किंतु ध्वनि न कोई आती है,
दुनिया की सबसे विशाल,
रथ यात्रा यहां की जाती है।
कभी गंगा यमुना सरस्वती थी,
सरस्वती कहा गुप्त हुई,
ऋषि वेदव्यास के श्राप से,
देखो माना गांव में लुप्त हुई,
प्रभु वेद व्यास की गुफा जहां,
महाभारत और पुराण लिखे,
मंदिर से ऊपर पदचिह्न है,
जहां नारायण के चरण टीके,
इक और अलकनंदा का जल,
ठंडा और झूम उछलता है,
वही दूजी और जल तप्त कुण्ड,
का 24 घण्टे उबलता है,
जब पाण्डव यहां से गुजरे,
नदी पार द्रौपदी कर ना सकी,
भीम पुल कहलाया जब पर्वत,
चीर के शीला रखी।
क्यों कुरुक्षेत्र के रण की,
मिट्टी आज भी रक्त से लाल है,
क्यों बर्फ से अमरनाथ में शिवलिंग,
बन जाता हर साल है,
क्यों बर्बरीक के भेदे हुए,
उस वृक्ष के पत्तों में छेद है,
खाटू में शीश विराजमान क्या,
अब भी सबको खेद है,
मां वैष्णो की है चरण पादुका,
बाण गंगा भी बहती है,
बाबा भैरो का शीश धरा,
मां त्रिकूट पर्वत रहती है,
यमुना से भगाया नाग,
कृष्ण ने संकट तो चलो टल गया,
जहां मुड़के देखा वृंदावन को,
पत्थर का वो बन गया।
त्रियुगी नारायण मंदिर,
जहां शिव शक्ति का हुआ विवाह,
केदारनाथ में आपदा आई,
सब कुछ बह कर हुआ तबाह,
धारी देवी की मूर्ति हटाई,
दुर्घटना ये घट गई,
ना जाने कहां से एक शिला,
मन्दिर से आकर सट गई,
रेतस कुंड में ॐ जाप को,
सुन बुलबुले निकलते है,
गंगाजल में बदबू ना आती,
कभी ना कीड़े पलते है,
उमा महेश्वर मंदिर में,
नन्दी जी निरंतर बढ़ रहे,
कुछ तो बात है तुंगनाथ में,
पैदल जो सब चढ़ रहे।
स्तंभेश्वर मन्दिर दिन में,
2 बार सागर में छिप जाता है,
क्यों आज भी खोदरा महुं में,
अश्वत्थामा दिख जाता है,
टांगीनाथ मंदिर में फरसा,
परशुराम जी का गढ़ा हुआ,
उस छत्र की धातु का ज्ञान न,
ज्वाला मां को जो चढ़ा हुआ,
बम फेंके पाक ने तनोत,
मन्दिर पे अबतक भी वो चले नहीं,
तलवारें भाले कुरुक्षेत्र से मिले,
जो अबतक गले नहीं,
ज्वाला मां के दिव्य दीप वर्षों,
से जलते आ रहे है,
तनोत मां की पूजा आज भी,
सैनिक करते आ रहे है।
हनुमान गढ़ी मंदिर को,
उड़ाने की थी साजिश,
मन्दिर द्वार के पास खड़ी,
गाड़ी थी लावारिस,
डेटोनेटर से जुड़ा हुआ था,
जो तार,
बानर रूप में बजरंगी,
आये रोकने प्रहार,
30 अक्तूबर 1990 जब,
लगाया भगवा झण्डा,
बानर आके बैठ गया,
पकड़ झण्डे का दंडा,
हुई राम जन्मभूमि की,
जब कोर्ट में सुनवाई,
बानर रूप में बजरंगी ने,
थी हाज़िरी लगाई,
22 जनवरी प्राणप्रतिष्ठा के,
दिन फिर से वानर आया,
देख अदभुत चमत्कार,
सबने हनुमत उसे बुलाया।
एक ही चट्टान काट,
कैलाश मंदिर बना हुआ,
राजनौन में चक्रव्यूह कैसे,
पत्थर पर बना हुआ,
मेरा एक एक जो तथ्य है,
सनातन से ही जुड़ रहा,
वीरभद्र मंदिर में स्तंभ,
हवा में कैसे उड़ रहा,
क्यों आज भी सांकरी खोर से,
माखन दूध की ख़ुशबू आती है,
क्यों वर्षों पहले डूबी नगरी,
सागर में मिल जाती है,
पाताल भुवनेश्वर मंदिर में,
शीश गणेश का रखा हुआ,
मण्डरांचल पर्वत पर देखो,
वासुकि निशान भी छपा हुआ,
आज भी मौजूद है,
श्री कृष्ण के रथ चक्र दाग,
आशा करता हूँ सभी सनातनी,
दिल में जगी हो एक आग।
ले ले थोड़ा सा तू ज्ञान,
हिन्दू ख़ुद को तू पहचान,
सुन सनातन के प्रमाण।
रामायण मिथ्या कहने वाले,
सत्य से मुख फेरते है,
ये भलीभांति है ज्ञात सभी को,
पत्थर आज भी तैरते है,
चित्रकूट में आज भी,
राम सिया के पदचिह्न मिलते है,
हिमालय पर मिलने वाले,
जड़ी पुष्प लंका में खिलते है,
अशोक वाटिका आज भी है,
बेशक ये बात पुरानी है,
तो जाकर देखो लंका में,
क्यों दहन से मिट्टी काली है,
रामेश्वरम शिवलिंग आज भी है,
बजरंगी के चरणों के निशान,
वैष्णो मां प्रतीक्षा करती,
आयेंगे कल्कि भगवान।
जगन्नाथ भगवान जी का दिल,
आज भी धक धक करता है,
प्रसाद कभी ना कम पड़ता,
भूखे के पेट को भरता है,
सुदृशन जैसा नीलचक्र,
जो गुम्बद पर सजाते है,
उसे किसी भी दिशा से,
देखो सब सामने सीधा पाते है,
गुम्बद के ऊपर से कभी कोई,
पक्षी विमान ना जाता है,
वायु के विपरीत दिशा में,
सदा ध्वज लहराता है,
सागर के तट पे मंदिर,
किंतु ध्वनि न कोई आती है,
दुनिया की सबसे विशाल,
रथ यात्रा यहां की जाती है।
कभी गंगा यमुना सरस्वती थी,
सरस्वती कहा गुप्त हुई,
ऋषि वेदव्यास के श्राप से,
देखो माना गांव में लुप्त हुई,
प्रभु वेद व्यास की गुफा जहां,
महाभारत और पुराण लिखे,
मंदिर से ऊपर पदचिह्न है,
जहां नारायण के चरण टीके,
इक और अलकनंदा का जल,
ठंडा और झूम उछलता है,
वही दूजी और जल तप्त कुण्ड,
का 24 घण्टे उबलता है,
जब पाण्डव यहां से गुजरे,
नदी पार द्रौपदी कर ना सकी,
भीम पुल कहलाया जब पर्वत,
चीर के शीला रखी।
क्यों कुरुक्षेत्र के रण की,
मिट्टी आज भी रक्त से लाल है,
क्यों बर्फ से अमरनाथ में शिवलिंग,
बन जाता हर साल है,
क्यों बर्बरीक के भेदे हुए,
उस वृक्ष के पत्तों में छेद है,
खाटू में शीश विराजमान क्या,
अब भी सबको खेद है,
मां वैष्णो की है चरण पादुका,
बाण गंगा भी बहती है,
बाबा भैरो का शीश धरा,
मां त्रिकूट पर्वत रहती है,
यमुना से भगाया नाग,
कृष्ण ने संकट तो चलो टल गया,
जहां मुड़के देखा वृंदावन को,
पत्थर का वो बन गया।
त्रियुगी नारायण मंदिर,
जहां शिव शक्ति का हुआ विवाह,
केदारनाथ में आपदा आई,
सब कुछ बह कर हुआ तबाह,
धारी देवी की मूर्ति हटाई,
दुर्घटना ये घट गई,
ना जाने कहां से एक शिला,
मन्दिर से आकर सट गई,
रेतस कुंड में ॐ जाप को,
सुन बुलबुले निकलते है,
गंगाजल में बदबू ना आती,
कभी ना कीड़े पलते है,
उमा महेश्वर मंदिर में,
नन्दी जी निरंतर बढ़ रहे,
कुछ तो बात है तुंगनाथ में,
पैदल जो सब चढ़ रहे।
स्तंभेश्वर मन्दिर दिन में,
2 बार सागर में छिप जाता है,
क्यों आज भी खोदरा महुं में,
अश्वत्थामा दिख जाता है,
टांगीनाथ मंदिर में फरसा,
परशुराम जी का गढ़ा हुआ,
उस छत्र की धातु का ज्ञान न,
ज्वाला मां को जो चढ़ा हुआ,
बम फेंके पाक ने तनोत,
मन्दिर पे अबतक भी वो चले नहीं,
तलवारें भाले कुरुक्षेत्र से मिले,
जो अबतक गले नहीं,
ज्वाला मां के दिव्य दीप वर्षों,
से जलते आ रहे है,
तनोत मां की पूजा आज भी,
सैनिक करते आ रहे है।
हनुमान गढ़ी मंदिर को,
उड़ाने की थी साजिश,
मन्दिर द्वार के पास खड़ी,
गाड़ी थी लावारिस,
डेटोनेटर से जुड़ा हुआ था,
जो तार,
बानर रूप में बजरंगी,
आये रोकने प्रहार,
30 अक्तूबर 1990 जब,
लगाया भगवा झण्डा,
बानर आके बैठ गया,
पकड़ झण्डे का दंडा,
हुई राम जन्मभूमि की,
जब कोर्ट में सुनवाई,
बानर रूप में बजरंगी ने,
थी हाज़िरी लगाई,
22 जनवरी प्राणप्रतिष्ठा के,
दिन फिर से वानर आया,
देख अदभुत चमत्कार,
सबने हनुमत उसे बुलाया।
एक ही चट्टान काट,
कैलाश मंदिर बना हुआ,
राजनौन में चक्रव्यूह कैसे,
पत्थर पर बना हुआ,
मेरा एक एक जो तथ्य है,
सनातन से ही जुड़ रहा,
वीरभद्र मंदिर में स्तंभ,
हवा में कैसे उड़ रहा,
क्यों आज भी सांकरी खोर से,
माखन दूध की ख़ुशबू आती है,
क्यों वर्षों पहले डूबी नगरी,
सागर में मिल जाती है,
पाताल भुवनेश्वर मंदिर में,
शीश गणेश का रखा हुआ,
मण्डरांचल पर्वत पर देखो,
वासुकि निशान भी छपा हुआ,
आज भी मौजूद है,
श्री कृष्ण के रथ चक्र दाग,
आशा करता हूँ सभी सनातनी,
दिल में जगी हो एक आग।
Sanatan Ke Praman (Hindu Rap) - Ghor Sanatani | Rap Anthem
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सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा और इसके ऐतिहासिक प्रमाणों की महिमा अनंत है, जो हर कण में उसकी सत्यता को प्रकट करती है। रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ केवल कथाएं नहीं, बल्कि उन साक्ष्यों का जीवंत दस्तावेज हैं, जो आज भी धरती पर विद्यमान हैं। चित्रकूट के पवित्र पदचिह्न, रामेश्वरम का शिवलिंग, लंका की काली मिट्टी, और हिमालय से लंका तक खिलने वाले पुष्प इस सत्य को उजागर करते हैं कि सनातन की नींव अटल है। ये स्थान और चिह्न भक्तों के लिए केवल तीर्थ नहीं, बल्कि उस आस्था के प्रतीक हैं जो समय और परिस्थितियों को पार कर आज भी जीवित हैं। जगन्नाथ पुरी का नीलचक्र, जो हर दिशा से एक समान दिखता है, और वहां की रथयात्रा, जो विश्व में अद्वितीय है, यह दर्शाती है कि सनातन की शक्ति और भव्यता हर युग में अडिग रही है।
हिन्दू
धर्म और सनातन संस्कृति हमें जीवन के हर पहलू में सत्य, अहिंसा और करुणा
का मार्ग दिखाती है। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है जो
आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से जुड़ने का मार्ग है। वेद, उपनिषद और
भगवद्गीता जैसे ग्रंथ हमें ज्ञान, धर्म और कर्तव्य का बोध कराते हैं। पूजा,
व्रत, और तीर्थ यात्राएं हमारे मन को स्थिर और आत्मा को शांत करती हैं। यह
संस्कृति हमें प्रकृति, परिवार और समाज के प्रति प्रेम और आदर सिखाती है।
Singer/Rapper - Ghor Sanatani
Lyrics /Composer - Ghor Sanatani
Music - Ghor Sanatani
Mix/Master - Ghor Sanatani
Lyrics /Composer - Ghor Sanatani
Music - Ghor Sanatani
Mix/Master - Ghor Sanatani