म्हारी मिरगा नैनी ये म्हारी चांद गोरी ये

म्हारी मिरगा नैनी ये म्हारी चांद गोरी ये

म्हारी मिरगा नैनी ये,
म्हारी चांद गोरी ये,
थारे रूप में बसे हैं,
म्हारा प्राण रे,
म्हारी मिरगा नैनी ये,
म्हारी चांद गोरी ये।

नेणां में सुरमो,
नेणाँ घूंघटे के मांय जी,
नथली थांरे नाक में,
चमक चमक इतराय जी,
म्हारी मिरगा नैनी ये,
म्हारी चांद गोरी ये।

मेहंदी हथेल्याँ महके,
चूड़ला साजे हाथ रे,
रुण झुण रुण झुण पायलां,
केवे मन री बात रे,
म्हारी मिरगा नैनी ये,
म्हारी चाँद गोरी ये।

झुमका जवाहर जड़िया,
हिरलां रो हार जी,
नखल्या बिछिया सोवणा,
झांझर झालरदार जी,
म्हारी मिरगा नैनी ये,
म्हारी चाँद गोरी ये।


Gouri - Chand Gouri - Swaroop Khan | SP Jodha | Kailash Jangid | Uma & Pushpendra Badgoti | Shiva

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Song Name : Gouri / गौरी
Singer : Swaroop khan
Music & Mix  :Kailash Jangid
Lyrics :Jitendra Shiva
 
राजस्थानी लोकसंस्कृति में नारी रूप को चांद सी उजली और मृग जैसी चंचल दृष्टि वाली देवी के समान पूजा जाता है। घूंघट में झांकते सुरमई नयन, और नथ-झुमके की झिलमिल में लोक की सुंदरता जीवंत हो उठती है। मेहंदी से रचे हाथ और चूड़ियों की खनक, स्त्री के श्रृंगार नहीं बल्कि उसकी आत्मा की अभिव्यक्ति हैं। पायल की रूनझुन में छुपी होती है मन की बात, जो बिना कहे ही प्रेम की भाषा बोल जाती है। यह लोकगीत केवल नारी की शोभा का चित्रण नहीं बल्कि राजस्थान की सजीव, संवेदनशील और सौंदर्य प्रेमी लोकसंस्कृति का साक्षात प्रतिबिंब है।
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