करुणाकंद कृपा कीजिए हृदय में बसा भजन

करुणाकंद कृपा कीजिए हृदय में बसा लीजिए भजन

करुणाकंद कृपा कीजिए,
हृदय में बसा लीजिए,
करुणाकंद कृपा कीजिए,
हृदय में बसा लीजिए।

जय शिव शंकर भोलेनाथ,
जय त्रिपुरारी भोलेनाथ,
जय शिव शंकर भोलेनाथ,
जय त्रिपुरारी भोलेनाथ।

ना मैं जानू तंत्र मंत्र,
और ना मैं जानू ध्यान यंत्र,
अपनी भक्ति में डूबा लिजिए,
करुणाकंद कृपा कीजिए,
हृदय में बसा लीजिए।

जटा में गंगा बहाते शंभू,
भस्म रमाते अघोरी शंभू,
शिव ही व्योम है,
शिव है प्रकाश,
शिव ही तो है सबका आस,
दया की दृष्टि कीजिए, 
करुणाकंद कृपा कीजिए,
हृदय में बसा लीजिए।

कंठ में विष जो पी गए,
नीलकंठ वो हो गए,
ना माया ना मोह प्यारा,
बस तेरा ही नाम सहारा, 
मुझको अपना लीजिए,
करुणाकंद कृपा कीजिए,
हृदय में बसा लीजिए।


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Name: Karunakand Kripa Kijiye
Singer: Aavya Dubey
Music Director: Kanha Singh
Lyrics: Kanha Singh
Editor: Praveen ADR
Designer: Adarsh GFX
Producer: Lakshman Gupta
 
हम अपने करुणामय भोलेनाथ से विनती करते हैं कि हे प्रभु हमें अपनी कृपा से हृदय में स्थान दीजिए। हम न तो तंत्र-मंत्र जानते हैं और न ही ध्यान-यंत्र की विधि, बस आपकी भक्ति में डूब जाना चाहते हैं। आप जटाओं में गंगा धारण करने वाले, भस्म रमाने वाले, अघोरी शंभू हैं। आप ही प्रकाश हैं, आप ही व्योम हैं, और आप ही सबकी अंतिम आस हैं। हमारी दृष्टि में माया-मोह का कोई मूल्य नहीं हमें तो केवल आपका नाम ही सहारा देता है। हे नीलकंठ, जैसे आपने विष पीकर सबका कल्याण किया, वैसे ही हमें भी अपने प्रेम और कृपा में समाहित कर लीजिए। हमारे हृदय में बस जाइए। जय भोलेनाथ। 
 
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