अति कभी ना करना प्यारे इति तेरी हो जायेगी

अति कभी ना करना प्यारे इति तेरी हो जायेगी

अति कभी ना करना प्यारे इति तेरी हो जायेगी,
बिन पंखों के पंछी जैसी गति तेरी हो जायेगी।

अति सुन्दर थी सीता मैया जिसके कारण हरण हुआ,
अति घमंडी था वो रावण जिसके कारण मरण हुआ,
जिसके कारण मरण हुआ,
अति सदा वर्जित है बन्दे क्षति तेरी हो जायेगी,
बिन पंखों के पंछी जैसी गति तेरी हो जायेगी।

अति वचन बोली पांचाली महाभारत का युद्ध हुआ,
अति दान देकर के राजा बलि भी बंधन युक हुआ,
बलि भी बंधन युक हुआ,
अति विश्वास कभी ना करना मति तेरी फिर जायेगी,
बिन पंखों के पंछी जैसी गति तेरी हो जायेगी।

अति बलशाली सेना लेकर कौरव चकनाचूर हुए,
अति लालच वश जाने कितने सत्कर्मों से दूर हुए,
सत्कर्मों से दूर हुए,
अति के पीछे हर्ष ना भागो अति अंत करवायेगी,
बिन पंखों के पंछी जैसी गति तेरी हो जायेगी,
अति कभी ना करना प्यारे इति तेरी हो जायेगी।

अति यानी किसी भी चीज़ की अधिकता हानिकारक होती है। जैसे सुंदरता की अति से सीता जी का हरण हुआ और घमंड की अति से रावण का मरण हुआ। महाभारत का कारण भी द्रौपदी के तीखे वचनों से हुआ। अति विश्वास और अति लालच से व्यक्ति अपने सत्कर्मों से दूर हो जाता है। इसलिए हमेशा संतुलन बनाए रखना चाहिए नहीं तो बिना पंखों वाले पंछी की तरह गति हो जायेगी यानी की पतन हो जायेगा।


Ati Kabhi Na Karna Pyare | कर्म अच्छे नहीं करोगे तो होगा ऐसा हाल | Chetawani Bhajan | Mukesh Bagda Ati Kabhi Naa Karana Pyare Iti Teri Ho Jayegi

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जीवन में संतुलन ही सच्चे सुख और शांति का आधार है, क्योंकि किसी भी चीज़ की अधिकता मनुष्य को पतन की ओर ले जाती है। सुंदरता, घमंड, वचन, दान, बल, या लालच—जब ये अपनी सीमा लांघ जाते हैं, तो वे मनुष्य के लिए विनाश का कारण बनते हैं। जैसे सीता जी की सुंदरता के कारण उनका हरण हुआ और रावण के अहंकार ने उसका सर्वनाश कर दिया, वैसे ही द्रौपदी के तीखे वचनों ने महाभारत जैसे विशाल युद्ध को जन्म दिया। यह अति का ही परिणाम था कि राजा बलि का अति दान और कौरवों की अति बलशाली सेना उनके विनाश का कारण बनी। अति विश्वास और लालच भी मनुष्य को सत्कर्मों से दूर कर, उसे भटकाव और हानि की ओर ले जाते हैं। इसलिए, जो व्यक्ति हर कार्य में संयम और मर्यादा रखता है, वह अपने जीवन को संतुलित और सार्थक बनाए रखता है।
 
संतुलन का यह पाठ जीवन को एक सही दिशा देता है, जहाँ न अति का मोह होता है और न ही अतिशयोक्ति का बोझ। अति के पीछे भागने वाला व्यक्ति बिना पंखों के पक्षी-सा हो जाता है, जिसकी गति पतन की ओर ही होती है। सनातन धर्म और इसके शास्त्र यह सिखाते हैं कि मर्यादा और संयम ही मनुष्य को सच्चे सुख और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं। जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं, वाणी और कर्मों में संतुलन बनाए रखता है, वह न केवल सांसारिक दुखों से बचा रहता है, बल्कि अपने जीवन को प्रभु की कृपा और सत्कर्मों से समृद्ध करता है। इस प्रकार, संतुलन और मर्यादा का पालन ही वह मार्ग है, जो मनुष्य को पतन से बचाकर सच्चे आनंद और मुक्ति की ओर ले जाता है। 

Song: Ati Kabhi Na Karna Pyare
Singer: Mukesh Bagda
Lyricist: Vinod Agarwal (Harsh)
Music: Divyansh Anurag (Yuki Studio)
Video: Bhakti Vandana
Category: Hindi Devotional (Chetawani Bhajan)
 
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