मैं तो जैसे मिट गया हो गया मैं गंगा रे भजन
मैं तो जैसे मिट गया हो गया मैं गंगा रे भजन
आया तेरे घाट पर,
तेरे रंग रंगा रे,
मैं तो जैसे मिट गया,
हो गया मैं गंगा रे।
मैले तन को तो माई,
जल कोई भी धोवे,
तुझ में नहा के होवे,
मैला मन चंगा रे,
मन गंगा रंगा,
तन गंगा रंगा,
जीवन गंगा रंगा,
हर गंगे हर गंगे।
तेरे बिन तीर्थ क्या,
तेरे बिन भारत क्या,
होती नहीं तू जो यहां,
होती फिर विरासत क्या,
अमृत धारा तेरी,
देखे नहीं रात दिन,
बहती मां तू तो सदा,
तुझको मुहूर्त क्या,
डुबकी लगावे जो,
बना नेक बंदा रे,
उजली लहर के आगे,
पड़े फीका चंदा रे,
मन गंगा रंगा,
तन गंगा रंगा,
जीवन गंगा रंगा,
हर गंगे हर गंगे।
हम पर तेरा उपकार है गंगे,
धरती को तू उपहार है गंगे,
कल्याण सदियों से किया तूने,
बहना तेरा त्यौहार है गंगे,
हर गंगे हर गंगे,
हर गंगे हर गंगे,
हर गंगे हर गंगे,
हर गंगे हर गंगे।
Main To Jaise Mit Gaya Ho Gaya Main Ganga Re Bhajan Ganga | Bhumik Shah | Souful Ganga Bhajan 2025 | Jai Ganga Maiya | Hindi Devotional Song
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Singer & Producer -: Bhumik shah
Music Composed and Arranged by : Arpan Mahida
Lyrics : Nandan Purohit
Guitars : Sanjoy Das
Flute : Tejas Vinchurkar
Recorded at : Seven Heaven Studio, mumbai , MKR Studios, Ahmedabad
Mixed by : Arpan Mahida
Music Composed and Arranged by : Arpan Mahida
Lyrics : Nandan Purohit
Guitars : Sanjoy Das
Flute : Tejas Vinchurkar
Recorded at : Seven Heaven Studio, mumbai , MKR Studios, Ahmedabad
Mixed by : Arpan Mahida
जब भी कोई मां गंगा के घाट पर आता है तो वो केवल जल में स्नान नहीं करता है बल्कि आत्मा की गहराई तक शुद्ध हो जाता है। मां गंगा के दर्शन मात्र से मन को एक अलौकिक शांति का अनुभव होता है। गंगा जल में डुबकी लगाते ही सारे पाप और दुख गंगाजल में बह जाते है।
गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। बिना गंगा के भारत की संस्कृति अधूरी होती। मां गंगा की धारा अमृत समान है, जो दिन-रात बहती रहती है। बिना किसी रुके, बिना किसी अवसर की प्रतीक्षा किए मां गंगा हमें सिखाती है कि सेवा और कल्याण के लिए कोई समय नहीं होता बस समर्पण होना चाहिए। गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाने से न केवल तन शुद्ध होता है, बल्कि मन भी निर्मल हो जाता है। उसका पावन प्रवाह हमें नेक बनने की प्रेरणा देता है। उसकी लहरों के आगे चांदनी भी फीकी लगती है। मां गंगा सदा से हमारे जीवन में उपकार करती आई हैं। उन्होंने न जाने कितनी पीढ़ियों का कल्याण किया है और उनका बहना अपने आप में एक पवित्र उत्सव है।
मां गंगा केवल जलधारा नहीं है वह हमारी आस्था, हमारी संस्कृति और हमारी आत्मा का गहराई से जुड़ा हुआ हिस्सा हैं। उनके बिना न भारत की पहचान संभव है, न ही हमारे तीर्थों की महिमा। मां गंगा को बारंबार नमन हर गंगे, हर गंगे।